शिवलिंग और कैलाश पर्वत में स्थापित रहस्यमय अलौकिक शक्ति का सत्य

पुराणों के अनुसार जब कुछ भी नहीं था तो परमातमा ने खुद को परकट किया और अपने में एक स्त्री शक्ति को स्थान देकर पृथक किया| अन संयोग से एक अंडज़ की उतपति हुई जो फैलता गया और बिग बैंग थेओरी को सार्थक करता हुया फैलता गया और अभी तक फेल रहा है| स्त्री पुरुष ने स्वयं को तीन भागों में पृथक कर त्रिदेवों और त्रिशक्तियों को स्थान दिया| परम भगवान शिव ने ब्रह्माण्ड सृजणी शक्ति के साथ एक लिंग में प्रकट हुये जिसका ना कोई आदि था और ना ही कोई अंत| विष्णु और ब्रहामा जी में प्रतियोगिता हुई और लिंग ने कहा कि जो इस आकर का आदि या अंत पा लेगा वो सर्वपूजित होगा| अंत सत्य की वजह से विष्णु जीते।

उस ब्रह्माण्ड सृजनी शक्ति के साथ शिव जी ने लिंग रूप में धरती पर निवास किया। वह शक्ति और कुछ नहीं परमाणु और अणु शक्ति थी जिससे आज एटम बम्ब बनाये जाते हैं और इसकी शक्ति से पहले ब्रह्मास्त्र बनते थे। शिवलिंग का ऐसा आकार भी इस लिए है ताकि इसके अंदर होने वाले विस्फोटों और उनकी ऊर्जा को अंदर ही रखा जा सके। ऐसा ही आकर आत्मा का है।

भारत का रेडियोएक्टिविटी मैप उठा लो तो हैरान हो जाओगे की भारत सरकार के नुक्लिएर रिएक्टर के अलावा सभी ज्योत्रिलिंगो के स्थानों पर सबसे ज्यादा रेडिएशन पाया जाता है | शिवलिंग और कुछ नहीं बल्कि न्यूक्लिअर रिएक्टर्स ही हैं तभी उनपर जल चढ़ाया जाता है ताकि वो शांत रहे। महादेव के सभी प्रिय पदार्थ जैसे किए बिल्व पत्र, आक, आकमद, धतूरा, गुड़हल, आदि सभी न्यूक्लिअर एनर्जी सोखने वाले हैं | क्यूंकि शिवलिंग पर चढ़ा पानी भी रिएक्टिव हो जाता है तभी जल निकासी नलिका को लांघा नहीं जाता | भाभा एटॉमिक रिएक्टर का डिज़ाइन भी शिव लिंग की तरह है |


शिवलिंग पर चढ़ाया हुआ जल नदी के बहते हुए जल के साथ मिल कर औषधि का रूप ले लेता है तभी हमारे बुजुर्ग हम लोगों से कहते कि महादेव शिव शंकर अगर नराज हो जाएं गे तो प्रलय आ जाए गी |

Axis Mundi (एक्सिस मुंडी )

एक्सिस मुंडी को ब्रह्मांड का केंद्र, दुनिया की नाभि या आकाशीय ध्रुव और भौगोलिक ध्रुव के रूप में, यह आकाश और पृथ्वी के बीच संबंध का एक बिंदु है जहाँ चारों दिशाएं मिल जाती हैं। और यह नाम, असली और महान, दुनिया के सबसे पवित्र और सबसे रहस्यमय पहाड़ों में से एक कैलाश पर्वत से सम्बंधित हैं। एक्सिस मुंडी वह स्थान है अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है और आपउन शक्तियों के साथ संपर्क कर सकते हैं रूसिया के वैज्ञानिक ने वह स्थान कैलाश पर्वत बताया है।

अप्राकृतिक शक्तियों का भण्डारक कैलाश पर्वत चार महान नदियों के स्त्रोतों से घिरा है सिंध, ब्रह्मपुत्र, सतलज और कर्णाली या घाघरा तथा दो सरोवर इसकेआधार हैं पहला मानसरोवर जो दुनिया की शुद्ध पानी की उच्चतम झीलों में से एक है औरजिसका आकर सूर्य के सामान है तथा राक्षस झील जो दुनिया की खारे पानी की उच्चतम झीलों में से एक है और जिसका आकार चन्द्र के सामान है। ये दोनों झीलें सौर और चंद्र बल को प्रदर्शित करते हैं जिसका सम्बन्ध सकारात्मक और नकारात्मक उर्जा से है। जब दक्षिण चेहरे से देखते हैं तो एक स्वस्तिक चिन्ह वास्तव में देखा जा सकता है.

कैलाश पर्वत और उसकेआस पास के बातावरण पर अध्यन कर रहे रूसिया के वैज्ञानिक Tsar Nikolai Romanov और उनकी टीम ने तिब्बत के मंदिरों में धर्मं गुरुओं से मुलाकात की उन्होंने बताया कैलाश पर्वत के चारों ओर एक अलौकिक शक्ति का प्रवाह होता है जिसमे तपस्वी आज भी आध्यात्मिक गुरुओं के साथ telepathic संपर्क करते है।

कैलाश पर्वत और उसके आस पास के बातावरण पर रूसिया के वैज्ञानिकों ने अध्ययन किया जिसको कोई नकार नहीं सकता उन्होंने यह बताया की कैलाश पर्वत एक विशाल मानव निर्मित पिरामिड है जो लगभग एक सौ छोटे पिरामिडों का केंद्र है। इस क्षेत्र में पिरामिड का विचार नया नहीं है।यह कालातीत संस्कृत महाकाव्य रामायण के समय से है।

रूसिया के वैज्ञानिकों का दावा है की कैलाश पर्वत प्रकृति द्वारा निर्मित सबसे उच्चतम पिरामिड है। जिसको तीन साल पहले चाइना के वैज्ञानिकों द्वारा सरकारी चाइनीज़ प्रेस में नकार दिया था। आगे कहते हैं" कैलाश पर्वत दुनिया का सबसे बड़ा रहस्यमयी, पवित्र स्थान है जिसके आस पास अप्राकृतिक शक्तियों का भण्डार है। इस पवित्र पर्वत सभी धर्मों ने अलग अलग नाम दिए हैं।" रूसिया वैज्ञानिकों की यह रिपोर्ट UNSpecial! Magzine में January-August 2004 को प्रकाशित की गयी थी।

हमारी परम्पराओं के पीछे कितना गहन विज्ञान छिपा हुआ है | ये इस देश का दुर्भाग्य है कि हमारी परम्पराओं को समझने के लिए जिस विज्ञान की आवश्यकता है वो हमें पढ़ाया नहीं जाता और विज्ञान के नाम पर जो हमें पढ़ाया जा रहा है उस से हम अपनी परम्पराओं को समझ नहीं सकते |

जिस संस्कृति की कोख से हमने जन्म लिया है वो सनातन है, विज्ञान को परम्पराओं का जामा इसलिए पहनाया गया है ताकि वो प्रचलन बन जाए और हम भारतवासी सदा वैज्ञानिक जीवन जीते रहें |

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9 Comments

  1. कैलाश पर्वत का एक रहस्य यह भी है कि जब मानसरोवर झील से बर्फ पिघलती है तो एक प्रकार की आवाज़ उत्पन होती है माना जाता है कि वो शिव क डमरू की आवाज़ है.

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  2. कैलाश मानसरोवर के बारे में इतना बताने के लिए आपका धन्यवाद FOR MORE INFO YOU CAN VISIT: wwww.hindinewstrend.com

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  3. बहुत ही अच्छा लेख है यह
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